सावन सोमवार व्रत का महत्व, कथा, पूजा विधि | Sawan Somvar Vrat Katha Vidhi

सावन (श्रावण) सोमवार व्रत का महत्व, कथा, पूजा विधि, नियम, कब, कैसे मनाया जाता है (Sawan Somvar Vrat Vidhi in hindi, Katha, Benefits, Start Date, )

सावन का महीना बहुत ही पवित्र महीना माना जाता है, यह जुलाई या अगस्त के महीने में पड़ता है। इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है, क्योंकि इस समय भारत में बहुत वर्षा होती है। सावन का महीना भोलेनाथ का महीना भी कहा जाता है, क्योंकि यह भगवान शंकर को बहुत ही प्रिय हैं। सावन के माह में शिव जी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। उनको बेल पत्र, भांग, धतूरा, इत्यादि चढ़ाए जाते हैं। 

इस आर्टिकल के जरिए आपको सावन महीने का महत्व, व्रत, कैसे मनाया जाता है, कथा इत्यादि की जानकारी मिलेगी।

सावन के महीने का महत्व

हिंदुओं में सावन के महीने का बहुत ही महत्व होता है। आइए आपको इससे जुड़ी कुछ बातें बताते हैं..

  • हिंदू पंचांग के हिसाब से यह साल का पांचवा महीना होता है।
  • सावन महीने में सबसे अधिक सोमवार के व्रत का महत्व  बताया जाता है।
  • कहा जाता है जो इस महीने में व्रत करते हैं भगवान शिव उनकी मनोकामना पूर्ण करते हैं।
  • कुछ श्रद्धालु भगवान शिव के तीर्थ स्थल हरिद्वार, काशी, उज्जैन, नासिक आदि धार्मिक स्थानों पर स्नान करने जाते हैं।
  • सावन महीने में अत्यधिक वर्षा होने से हर तरफ हरियाली छा जाती है।
  • सावन के महीने में कई अन्य त्योहार भी मनाए जाते हैं जैसे नाग पंचमी, रक्षाबंधन, पुत्रदा एकादशी, हरियाली तीज इत्यादि।
  • श्रावण में भारत के कुछ राज्यों जैसे महाराष्ट्र, गोवा एवं गुजरात पर सावन के अंतिम दिन नारियल पूर्णिमा मनाते है।
  • श्रावण माह में कई जगहों पर कावड़ यात्रा का आयोजन होता है। शिव भक्त कावड़ लेकर पैदल यात्रा करते हैं।
  • पौराणिक कथाओं के अनुसार सावन के महीने में ही समुद्र मंथन किया गया था, जिसमें विष निकला था।
  • यह विष भगवान शंकर ने अपने गले में समा लिया था, इसीलिए महादेव को “नीलकंठ” भी कहा जाता है।
  • जब देवताओं ने शिवलिंग पर जल चढ़ाना आरंभ किया, तब विष का प्रभाव कम होने लगा।
  • इसीलिए सावन मास में जल चढ़ाने का बहुत अत्यधिक महत्व है।

सावन महीने के व्रत

  • सावन सोमवार व्रत– यह व्रत सिर्फ सोमवार के दिन ही रखा जाता है, जिसे सावन सोमवार कहते हैं। यह सोमवार शिव जी को समर्पित किया जाता है।
  • सोलह सोमवार व्रत- सावन के महीने से कुछ सोलह सोमवार व्रत को भी शुरू करते हैं।
  • प्रदोष व्रत – सावन के महीने में विशेष रूप से प्रदोष व्रत रखा जाता है।

सावन का महीना कैसे मनाया जाता है –

आइये जानते हैं, सावन का महीना मनाने का तरीका, लोग किस तरह से शिव भक्ति में लीन हो जाते हैं।

  • श्रावण के महीने में लोग शिवजी की विशेष पूजा करते है।
  • शिवजी पर दूध, जल, बेलपत्र, भांग, धतूरा इत्यादि चढ़ाते हैं, और उनकी आराधना करते हैं।
  • सावन में लोग सोमवार का व्रत भी करते हैं, कुछ लोग पूरे सावन एक समय ही भोजन करते हैं।
  • हिन्दू धर्म में सावन माह को एक उत्सव के तरीके से मनाया जाता है।
  • लोगों का मानना है कि शिव की उपासना सच्चे मन से करने से सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
  • कई लोग सावन के माह मे प्याज, लहसुन, हरी सब्जियों का सेवन नही करते हैं, सात्विक जीवन जीते हैं।

सावन मिलनी क्या होता है –

श्रावण के महीने में सावन मिलनी की जाती है, आइए आपको बताते हैं सावन मिलनी क्या होती है..

  • सावन मिलनी में लोग अपने घर पर रिश्तेदार, अपने जान पहचान वालो को बुलाते हैं।
  • घर में समारोह का आयोजन किया जाता है। 
  • पेड़ों पर झूले डाले जाते है, सभी औरतें एक जगह इकट्ठी होकर झूला झूलती हैं। 
  • सावन में हरी चूड़ियों का बहुत महत्व होता है, सभी औरतें हरी चूड़ियां खरीद कर इस माह में पहनती हैं। 
  • सभी महिलाएं मिल कर सावन के गीत गाती हैं, नृत्य करती हैं।
  • इस तरह सावन के महीने को आनंदपूर्वक मनाया जाता है। 

सोमवार के व्रत का महत्व

  • ऐसा माना जाता है कि सोमवार का व्रत करने से मन चाहा फल मिलता है।
  • सावन के महीने में शिवलिंग की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
  • कहा जाता है कि सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए सोमवार का व्रत करती हैं।
  • अविवाहित लड़कियां मनपसंद जीवनसाथी पाने के लिए व्रत करती हैं।
  •  सोमवार के व्रत करने से, भगवान शिव का दूध और जल से अभिषेक करने पर, काल सर्प दोष कम होता है।

सावन सोमवार के व्रत लाभ

  • सोमवार व्रत करने से किसी शादीशुदा जोड़े के जीवन में चल रही, सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।
  • अविवाहित लड़कियां मनचाहा वर पाने के लिए इस व्रत को करती हैं।
  •  सोमवार के व्रत करने से, दुर्घटना होने की संभावना कम हो जाती हैं।
  • इस व्रत को करने से बीमार व्यक्ति की बीमारी दूर हो जाती है।
  • ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति संतान सुख चाहता है वह सावन माह में शिव की पूजा जरूर करें।

सावन के सोमवार के व्रत कैसे करें, उसके नियम 

  • भगवान शिवजी की पूजा करते समय बेलपत्र और धतूरा का अवश्य ध्यान रखें।
  • सावन का महीना हरियाली का मौसम होता है जो शिवजी को अत्यंत प्रिय है।
  • इस माह पेड़ पौधे ना काटे और हो सके तो पेड़ पौधे अवश्य लगाएं।
  • सावन के महीने में लहसुन, प्याज इत्यादि चीजों का सेवन ना करें।
  • अगर आप सावन के सोमवार शुरू से कर रहे हैं, तो उसका व्रत बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।

सावन सोमवार के व्रत की पूजा विधि

श्रावण के सोमवार का व्रत करके शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, सफेद फूल, दूध, सफेद चंदन, अक्षत आदि समर्पित करें और दूध और जल से भगवान शिव का अभिषेक करें।

श्रावण (सावन) सोमवार व्रत कथा विधि

एक साहूकार था, जो भगवान शिव जी का भक्त था। उसके पास किसी चीज की कमी नहीं थी, लेकिन उसके कोई संतान नहीं थी। इसी के लिए वह भगवान शिव की पूजा किया करता था। एक दिन पार्वती जी बोली हे, ‘भगवन’ ये साहूकार इतना दुखी क्यूँ है। आप इसके लिए कुछ करते क्यो नही। शकंर जी बोले इसके कोई पुत्र नही है, ये इसलिए ही दुखी है। माता पार्वती बोली आप इसकी ये इच्छा पूरी कर दीजिए। भगवान बोले अगर इसके पुत्र हुआ तो वह 12 साल के बाद मर जाएगा। इसके बाद भी माता के कहने पर भगवान ने साहूकार को आशीर्वाद दिया।

कुछ समय बीतने के बाद साहूकार के घर पुत्र हुआ, सब बहुत खुश थे। जब पुत्र 11 साल का हुआ तो उसकी माँ की इच्छा हुई कि, वह उसकी शादी करे, लेकिन पुत्र के पिताजी ने मना कर दिया।  क्योंकि साहूकार को पता था कि 12 वर्ष पश्चात पुत्र की मृत्यु हो जाएगी, इसीलिए उसने पुत्र को मामा के साथ काशी भेज दिया।

जब मामा भांजे रास्ते में जा रहे थे, तो उन्होंने वहां एक नगर देखा, जहां एक राजा की बेटी का विवाह हो रहा था। उस लड़की का विवाह एक आंख से अंधे लड़के के साथ हो रहा था। जब उस राजा ने साहूकार के पुत्र को देखा तो वह उससे विनती करने लगा कि आप मेरी बेटी से विवाह कर लीजिए ऐसा करने पर मैं आपको बहुत सा धन भी दूंगा।

भगवान शिव से मिला जीवनदान –

साहूकार का बेटा मान जाता है, और वह राजकुमारी से विवाह कर लेता है। विवाह संपन्न होने के बाद जब साहूकार का बेटा उठ कर जाने लगता है, तब वह राजकुमारी के पल्लू पर यह लिख देता है, कि तुम्हारा विवाह तो मेरे साथ हुआ है, परंतु तुम्हें एक आंख के काना राजकुमार के साथ विदा किया जाएगा। जब राजकुमारी को यह बात पता लगी तो उसने अपने पिता से कहा कि वह उस अन्धें लड़के साथ नहीं जाएगी।

काशी पहुंचकर साहूकार के पुत्र की मृत्यु हो गई, जिससे उसका मामा बहुत अधिक दुखी होकर रोने लगा। उसी वक्त वहां से शंकर जी और पार्वती जी गुजर रहे थे। तब माता पार्वती ने कहा, यह कौन विलाप कर रहा है, तब शंकरजी ने बताया यह वही साहूकार का पुत्र है, जिसकी उम्र सिर्फ 12 वर्ष की थी। लेकिन पार्वती जी के कहने पर शंकर जी ने उस पुत्र को वापिस जीवनदान दिया, और वह “ओम नमः शिवाय” कहता हुआ उठ खड़ा हुआ।

 उधर पुत्र के माता-पिता छत पर जाकर बैठकर अपने पुत्र की राह देखने लगे। उसके माता पिता भगवान से कहने लगे अगर हमारा पुत्र सही सलामत नहीं आया तो हम इसी छत से कूदकर अपने प्राण त्याग दे देंगे। उसके बाद मामा भांजे वापस आ रहे थे, फिर उसी नगर में रुके जहां पर राजकुमारी से विवाह हुआ था। वहां राजा ने अपनी बेटी को उस लड़के के साथ उसे ख़ुशी ख़ुशी विदा कर दिया। मामा ने साहूकार को सूचना पहुंचा दी, कि आपका पुत्र और पुत्रवधू आ रहे हैं, उनके स्वागत की तैयारी कीजिए। तत्पश्चात साहूकार भगवान शंकर जी का धन्यवाद करने लगे, और रोज की तरह भगवान शंकर की आराधना करने लगे।  

सावन का महीना महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ त्योहारों का भी महीना होता है। अगर आपको इस लेख से संबंधित और भी कोई जानकारी चाहिए तो, आप कमेंट बॉक्स में कमेंट कर सकते है।

FAQ

क्या व्रत में नमक खाना चाहिए?

कुछ लोग व्रत में फलाहार करते हैं तो वह सेंधा नमक खा सकते हैं। कुछ लोग एक समय खाना खाते है, तो साधारण नमक खा सकते हैं।

सावन के महीने में कितने सोमवार आते हैं?

4 से 5

भगवान शिव पर बेलपत्र और धतूरा क्यों चढ़ाते हैं?

इससे स्वास्थ्य और बल का आशीर्वाद मिलता हैं।

सावन के महीने में किस देवता की पूजा महत्वपूर्ण मानी जाती हैं?

भगवान शंकर की।

सोमवार के व्रत में खाना कब खाते हैं?

किसी भी व्रत में अपने इच्छा के अनुसार खाना चाहिए, ज्यादा देर भूखे रहने से गैस कि समस्या भी होने लगती हैं।

Leave a Reply