संस्कृत दिवस क्या है, कब कैसे मनाया जाता है, इतिहास, निबंध, उद्देश्य, महत्व, वर्तमान स्थिति, संस्कृत सप्ताह (Sanskrit Diwas Date in hindi, History, Celebration)
संस्कृत दिवस हर वर्ष श्रावणी पूर्णिमा को मनाया जाता है। जैसा कि हम जानते हैं श्रावणी पूर्णिमा का हमारी संस्कृति में बहुत महत्व है। हमारे देश में जन्में ऋषियों ने हमें विवेक और ज्ञान का उपहार दिया है। उनके योगदान पर प्रकाश डालने और उन्हें नमन करने के लिए श्रावणी पूर्णिमा को संस्कृत दिवस या ऋषि पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विश्व की प्राचीनतम भाषाओं में से एक संस्कृत भाषा को समर्पित किया गया है। संस्कृत भाषा अपने माहात्म्य के कारण देव भाषा भी कही गई है। भारतवर्ष की भूमि पर इसका सम्मान चिरकाल से होता आया है।
प्रस्तुत लेख के माध्यम से आइए जानें कि किस प्रकार संस्कृत दिवस हमारी धरोहर से जुड़ा है, और इसकी शुरुआत कैसे हुई।
Table of Contents
संस्कृत दिवस क्या है?
सन 1969 को पहली बार इस दिन को व्यवहार में लाया गया था। भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय तथा राजकीय स्तर पर इसे मनाने के निर्देश जारी किए थे। ये संस्कृत जैसी समृद्ध भाषा के संरक्षण की ओर एक महत्वपूर्ण कदम था।
संस्कृत दिवस कब मनाया जाता है?
इस बार 2024 में संस्कृत दिवस की तिथि 19 अगस्त को है। श्रावण पूर्णिमा का दिन इसलिए चुना गया है क्योंकि प्राचीनकाल में इसी दिन से शिक्षण सत्र की शुरुआत की जाती थी। इस प्राचीन परंपरा पर प्रकाश डाल कर भारत सरकार ने संस्कृत और संस्कृति के महत्व को दर्शाया है।
जानिए ओणम पर्व क्या है, कैसे मनाया जाता है
संस्कृत दिवस का उद्देश्य
संस्कृत भाषा भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। इस भाषा को देववाणी के समान प्रतिष्ठित माना गया है। कर्णप्रिय ध्वनि तथा वैभवशाली शब्दों का समागम संस्कृत भाषा को भारत में ही नहीं, अपितु विश्व भर में इसे आदरणीय बनाता है।
कुछ विदेशी भाषाविद भी मानते हैं कि संस्कृत भाषा ग्रीक, लैटिन जैसी भाषाओं से भी प्राचीन है। अतएव संस्कृति में संस्कृत के प्रबल प्रभाव को दर्शाने के लिए श्रावणी पूर्णिमा का दिन चुना गया है।
संस्कृत दिवस का महत्व
यह संस्कृत के अस्तित्व को जीवित रखने की ओर लिया गया एक सराहनीय प्रयास है। भारत में इसे पढ़े लिखने वालों की संख्या घटती जा रही है। संस्कृत दिवस जैसे उत्सव आम जनजीवन में संस्कृत के प्रति जागरूकता का संचार करेंगे। इससे हम ये भी समझ पाएंगे कि विदेशी भाषा के प्रभाव तले हमारी अपनी धरोहर खोनी नहीं चाहिए।
संस्कृत का इतिहास
संस्कृत भाषा का संसार अत्यंत विस्तृत है। इससे जुड़े ग्रंथों का अध्ययन तत्कालिन परिवेश का ब्यौरा देता है। संस्कृत विश्व के प्रथम ग्रंथ ऋग वेद से लेकर अमूमन सभी प्राचीन ग्रंथों में विद्यमान है। कालचक्र के अधीन हो कर इसकी समकालीन भाषाओं का अस्तित्व मिट गया, किंतु संस्कृत आज भी एक प्रभावशाली भाषा के रूप में सुशोभित है।
संस्कृत वर्तमान में प्रयोग में लाई जाने वाली भाषाएं जैसे कि हिंदी, मराठी, तेलुगु, सिंधी, बंगला आदि की जननी भी है। हिंदू, बौद्ध, जैन इत्यादि धर्मों के अनेकों ग्रंथ संस्कृत भाषा में भी लिखे गए हैं।
संस्कृत भाषा से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण ग्रंथ इस प्रकार हैं
- चारों वेद
- व्याकरण निरुक्त
- वेद वेदांग
- उपनिषद
- अठारह पुराण
- वाल्मिकी, व्यास, भवभूति,हर्ष, जयदेव जैसे महान लेखकों की पुस्तकें।
प्राचीन भारतीय साहित्य संस्कृत की कर्मभूमि के समान है। गौर करें तो संस्कृत को भारतीय उपमहाद्वीप की शास्त्रीय भाषा होने का गौरव भी प्राप्त है। इस भाषा का प्रादुर्भव पांच हजार वर्षों से भी पहले हुआ था। इसे देववाणी अथवा सुरभारती जैसा संबोधन भी मिला।
वेदों के अलावा प्रमुख साहित्यों को देखा जाए तो पतंजलि, पाणिनी आदि की रचनाओं ने संस्कृत की स्थिति सुदृढ़ की है। पतंजलि रचित योगसूत्र में छह प्रकार के दर्शनों का वर्णन है, जो संस्कृत में रचित हैं। उसी प्रकार पाणिनी ने अष्टाध्यायी की रचना की जो लगभग चार हजार सूत्रों से बना है। इसे संस्कृत भाषा से जुड़ा व्याकरण का एक व्यापक विवरण माना गया है।
देवीमाहात्म्य ग्रंथ में सुरक्षित पांडुलिपि को संस्कृत भाषा से जुड़ी सबसे प्राचीन पांडुलिपि माना गया है। ऋग वैदिक काल से ले कर वर्तमान स्थिति की बात करें तो पूजा, धर्म से जुड़े कार्यों के अलावा दार्शनिक, वैज्ञानिक और मानविकी क्षेत्र में भी संस्कृत एक प्रभावशाली भाषा रही है।
जानिए रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त क्या है
संस्कृत भाषा एवं विदेशी भाषाएं
- संस्कृत और रोमानी भाषा
यूरोप के बंजारो ( रोमानी) की भाषा भी संस्कृत से मिलती जुलती है।
- संस्कृत और अंग्रेजी भाषा
कहते हैं अंग्रेजी की जड़ें भी संस्कृत से जुड़ी हैं। संस्कृत के कई शब्द अंग्रेजी भाषा में मिलेंगे। उदाहरणस्वरूप, अंग्रेजी में ‘नेम’ एक शब्द है, जो कि हिंदी संस्कृत के सरल शब्द नाम जैसा लगता है। शुद्ध संस्कृत में ये नाम: होगा।
- संस्कृत और ग्रीक भाषा
कहा जाता है एक समय ग्रीक, लैटिन भी संस्कृत की समकालीन थी। पर अब ये मृत भाषाएं होगी हैं। संस्कृत कभी अपभ्रंश तो कभी वैदिक रूप में सुरक्षित रह गई।
संस्कृत की वर्तमान स्थिति
तमाम शोध बताते हैं संस्कृत वैज्ञानिक सम्मत भाषा है। किंतु ये जानना दुखद है कि आजकल भारतवासी ही इस भाषा की अनदेखी कर रहे हैं। इसका प्रयोग अब केवल पूजा पाठ से जुड़े मंत्रों तक ही सीमित होता जा रहा है।
संस्कृत दिवस कैसे मनाया जाता है?
राज्य एवं जिला स्तर पर भारत भर में संस्कृत कवि सम्मेलन, लेखक गोष्ठी, भाषण, श्लोकोच्चारण, प्रतियोगिता आदि का आयोजन होता है। ऐसे माध्यम संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु अग्रसर बुद्धिजीवियों को एक मंच प्रदान करते हैं।
ऐसे आयोजनों से देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी संस्कृत के प्रति रुझान उत्पन्न हो रहा है।
संस्कृत सप्ताह क्या है और क्यों मनाया जाता है?
पिछले कुछ वर्षों में ‘संस्कृत दिवस’ को एक दिन तक सीमित नहीं रख कर पूरे सप्ताह मनाया जाने लगा। इसका सीधा संबंध संस्कृत की स्थिति में सुधार लाने से है। श्रावण पूर्णिमा के दिन इसकी शुरुआत होती है और फिर पूरे हफ्ते इसका उत्सव मनाया जाता है।
विद्यालयों से ले कर उच्च शैक्षेणिक संस्थानों में विभिन्न तरीके से मनाया जाता है। इस पूरे सप्ताह हमें गौरव की अनुभूति होती है। हम अपनी प्राचीन संस्कृति से स्वयं को निकट पाते हैं।
विश्व संस्कृत दिवस
हम भारतीयों के लिए संस्कृत भाषा एक गर्व का विषय है। कहते हैं संस्कृत 3,500 वर्षो से भी अधिक प्राचीन है। बदलता वक्त भी इसके प्रभाव को धूमिल नहीं कर पाया है। विश्व भर में इस पर शोध होने के बाद इसे एक प्राचीनतम धरोहर की तरह गिना जाने लगा है ।
इसके पुनरुद्धार तथा रखाव की मंशा से विश्व भर में ये उत्सव मनाया जाता है।
जानिए सावन का महीना इतना पवित्र क्यूँ माना जाता है
संस्कृत विश्वयविद्यालय
भारत में वर्तमान में संस्कृत के प्रचार-प्रसार के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए जा रहे हैं। इसी को ध्यान में रख कर विश्वविद्यालय भी स्थापित किए गए हैं। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
वाल्मीकि संस्कृत यूनिवर्सिटी | हरियाणा |
कर्नाटक संस्कृत यूनिवर्सिटी | कर्नाटक |
श्री वेंकटेश्वर वैदिक यूनिवर्सिटी | आंध्र प्रदेश |
श्री जगन्नाथ संस्कृत यूनिवर्सिटी | ओडिशा |
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय | उत्तर प्रदेश |
संस्कृत दिवस के बारे में विस्तृत जानकारी
देश | भारत |
तिथि | श्रावणी पूर्णिमा |
उद्देश्य | देवभाषा संस्कृत का संरक्षण |
शुरुआत हुई | 1969 |
किस दिन है | 19 अगस्त 2024 |
संस्कृत भाषा हमारी वैभवशाली संस्कृति का एक सुनहरा अंग है। ये निश्चित ही दुख की बात है कि आज हमारे बीच इसका प्रसार कम होता जा रहा है। संस्कृत दिवस जैसे उत्सवों में हमें अपना उचित योगदान देना चाहिए ताकि संस्कृत जैसी प्राचीन भाषा का अस्तित्व सदैव बना रहे।
FAQs
सन 1969
देवनागरी लिपि
संस्कृत की उत्पत्ति को 3,500 वर्षो से भी अधिक हो गए हैं।
ऋग वेद
Sar Samachar Media Team एक समर्पित मीडिया टीम है जो आपके लिए सभी ट्रेंडिंग न्यूज़ आर्टिकल्स को हैंडल करती है।