ओणम पर्व क्या है 2024 : महत्व, पूजा विधि, निबंध | Onam Festival

ओणम पर्व क्या है, निबंध, कब कैसे मनाया जाता है, तारीख, पूजा कथा विधि, शुभ मुहूर्त, ओणम त्यौहार महोत्सव केरल (Onam Festival in hindi, Date, Story, King associated with Onam)

भारत त्योहारों का देश है, यहां पर अलग-अलग धर्म के लोग, अलग-अलग तरह- तरह से त्योहार मनाते हैं। होली, दिवाली, ईद, बैसाखी, क्रिसमस, दुर्गा पूजा, इत्यादि त्योहार मनाए जाते हैं। उसी में एक है ओणम, जो मुख्य रूप से दक्षिण भारत के केरल में मनाया जाता है। 

ओणम के त्यौहार को लोग दिवाली जैसा ही मनाते हैं, खासकर ओणम किसानों का त्योहार है यह त्योहार इतनी धूमधाम से मनाया जाता है, कि केरल में इस दौरान 4 दिन की लोकल छुट्टी भी होती है। इस त्यौहार को देखने के लिए लोग दूर-दूर से केरल की ओर जाते हैं।

ओणम कैसे मनाया जाता हैं? इसमें क्या किया जाता हैं? इसकी कथा क्या हैं? इसका तरीका क्या हैं? इत्यादि की जानकारी हम आपको इस लेख में देंगे।

ओणम कब मनाया जाता हैं? (When Onam is Celebrated)

ओणम का त्योहार अगस्त- सितंबर महीने में मनाया जाता है। इस बार 2024 में ओणम 5 सितंबर से शुरू होकर 17 सितम्बर तक चलेगा। इस त्यौहार में तिरुओणम दिन सबसे खास होता है, इस त्यौहार को 10 दिन खास तौर पर मनाया जाता है।

ओणम पूजा शुभ मुहूर्त –

ओणम तिथिसितम्बर 5, 2024 
तिरुओणम नक्षत्र प्रारंभ14 सितंबर 2024 को रात्रि 08:32 बजे
तिरुओणम नक्षत्र समाप्त15 सितंबर 2024 को शाम 06:49 बजे

ओणम का महत्व और क्यों मनाया जाता हैं?

ओणम एक बहुत ही पुराना त्यौहार हैं, जो आधुनिक समय में भी बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। ओणम चावल की फसल का और वर्षा के फूल का त्योहार माना जाता हैं। यह त्यौहार खासकर खेतों में फसल की उपज के लिए मनाया जाता हैं। 

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ओणम 10 दिन का त्यौहार-

यह त्यौहार 10 दिन तक मनाया जाता है, आइए आपको बताते हैं यह किस तरीके से मनाया जाता हैं।

क्रम संख्या          दिन                          महत्व
1अथमपहले दिन, राजा महाबली पाताल से केरल की ओर आने की तैयारी करते हैं।
2चिथिरादूसरे दिन, फूलों की रंगोली बनाई जाती हैं, घर की साफ सफाई होती हैं।
3चोधितीसरे दिन फूलों की रंगोली में एक गोला और बढ़ा दिया जाता है, और उस दिन से बाजार से खरीदारी शुरू की जाती है।
4विशाकमइस दिन तरह-तरह के खेल खेले जाते हैं, और प्रतियोगिताएं रखी जाती हैं।
5अनिज्हमपांचवे दिन नाव की रेस होने लगती है, और यह नजारा देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
6थ्रिकेताइस दिन त्यौहार की रौनक और बढ़ जाती है, और बच्चों की छुट्टियां शुरू हो जाती हैं।
7मूलमसातवें दिन मंदिरों में खास पूजा होती है, और लोगों का नृत्य करना शुरू हो जाता हैं।
8पुरादमआठवें दिन महाबली और वामन की मूर्ति रंगोली के ऊपर बीचो-बीच स्थापित की जाती है।
9उठ्रादोमनवे दिन लोगों के घरों में स्वादिष्ट पकवान पकने शुरू हो जाते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन महाबली केरल में आ जाते हैं।
10थिरुवोनमदसवे दिन रौनक और भी बढ़ जाती है, लोग एक दूसरे से मिलकर उपहार देते हैं, उस दिन मुख्य त्योहार मनाया जाता है। लोग 26 तरह के पकवान पकाते हैं, और एक दूसरे को बधाई देते हैं।

ओणम मनाने का तरीका – 

ओणम बहुत ही पारंपरिक तरीके से मनाया जाता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर एवं देश विदेशों से केरल पहुंचते हैं। आइए आपको बताते हैं ओणम मनाने का तरीका।

  • ओणम त्योहार कोच्चि के थ्रिकरा मंदिर में मुख्य रूप से मनाया जाता है, इस मंदिर में ओणम के त्यौहार का बहुत ही अच्छा आयोजन होता है। 
  • इस मंदिर में पूरे 10 दिन तक बहुत ही भव्य त्योहार का आयोजन होता है, जिसमें नाच, गाना, पूजा, आरती, मेला, खरीदारी करने के लिए बाजार, इत्यादि की विशेष तैयारियां की जाती है।
  • यहां पर तरह तरह की प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं, जिसमें लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
  • बाजार में किसानों के लिए विशेष कम दामों में चीजों की व्यवस्था की जाती है, जैसे कपड़े, गहने इत्यादि जिससे वह अच्छे से खरीदारी कर सकें।
  • ओणम के त्यौहार में लोग नए कपड़े खरीदते हैं, और उन्हें ही पहनते हैं, इसका बहुत ही विशेष महत्व होता है, इसे ओनक्कोदी कहते हैं।
  • यह त्यौहार दानवीर महाबली की याद में मनाया जाता है, इसीलिए इस त्यौहार में लोग तरह तरह की चीजों का दान करते हैं।
  • ओणम के दौरान केरल में वहां का लोकनृत्य भी देखने को मिलता है, जिसका बहुत बड़ा आयोजन किया जाता है।
  • ओणम के आखिरी दिन 26 तरह के पकवान बनाए जाते हैं, जिसे केलो के पत्तों पर परोसा जाता है।

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ओणम की कथा कहानी –

भक्त प्रहलाद के पोते महाबली थे, प्रह्लाद जो असुर हिरण्यकश्यप का बेटा था। लेकिन फिर भी प्रह्लाद विष्णु के भक्त थे, और महाबली भी अपने दादा की तरह बचपन से ही विष्णु जी की भक्ति करते थे।

महाबली एक बहुत ही अच्छे पराक्रमी, न्याय प्रिय, दानी और प्रजा का भला सोचने वाले राजा थे। महाबली असुर होने के बाद भी धरती और स्वर्ग दोनों पर राज्य किया करते थे। उनकी प्रजा उनसे अत्यधिक प्रसन्न रहती थी, और राजा महाबली को भगवान का दर्जा देती थी। जिसकी वजह से महाबली में घमंड आ गया था। ब्रह्मांड में बढ़ती असुरी शक्ति को देखकर बाकी देवी- देवता घबरा गए, और उन्होंने इससे बचने के लिए विष्णु जी से मदद मांगी।

तत्पश्चात भगवान विष्णु ने सभी देवी देवताओं की मदद के लिए और महाबली को सबक सिखाने के लिए माता अदिति के बेटे के रूप में वामन बन कर जन्म लिया। यह भगवान विष्णु का पांचवा अवतार था। उसी समय महाबली ने  इंद्र से अपने सबसे ताकतवर अस्त्र शस्त्र को बचाने के लिए, नर्मदा नदी के किनारे अश्वमेध यज्ञ का अनुष्ठान किया। इस यज्ञ के सफल होने के बाद महाबली और भी ताकतवर हो जाते।

परंतु जब यह बात वामन देव ने सुनी तब वह यज्ञशाला में आए। एक ब्राह्मण के बेटे को देखकर महाबली उन्हें पूरे सम्मान के साथ अंदर ले गए, और उनसे कुछ मांगने को कहा, इस बात पर वामन देव ने कहा मुझे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए, बस मुझे तो तीन पग जमीन दे दो।

वामन देव की यह बात सुनकर महाबली के गुरु समझ गए कि यह कोई साधारण बालक नहीं है, उन्होंने महाबली को जमीन देने से मना किया, परंतु महाबली अपने वचन के पक्के थे, इसीलिए उन्होंने हां कर दिया। महाबली ने वामन देव को अपनी इच्छा अनुसार, भूमि लेने के लिए कहा, यह बात सुनकर वामन देव अपने विशाल रूप में आ गए। उन्होंने पहले कदम में सारी धरती माप ली, अपने दूसरे कदम में उन्होंने पूरा स्वर्ग लोक माप लिया, अब उनके तीसरे कदम के लिए राजा के पास कुछ नहीं बचा था, तो अपने वचन को पूरा करने के लिए महाबली ने अपना सर वामन के पैर के नीचे रख दिया। ऐसा करते ही राजा महाबली धरती से पताल लोक में समा गए, पताल लोक में जाने से पहले महाबली से उनकी एक इच्छा पूछी गई, महाबली ने भगवान विष्णु से कहा कि हर साल धरती में ओणम का त्यौहार उनकी याद में मनाया जाए, और उन्हें इस धरती पर आने की अनुमति दी जाए, ताकि वे यहां आकर अपनी प्रजा से मिलकर उनके सुख-दुख को जान सके। इस प्रकार तब से ओणम का त्यौहार बहुत धूमधाम से मनाया जाने लगा।

FAQs

ओणम किस राज्य का प्रमुख त्योहार हैं?

यह त्यौहार दक्षिण भारत के केरल का प्रमुख त्योहार हैं।

ओणम का दूसरा नाम क्या हैं?

ओनम।

ओणम का सर्वाधिक महत्वपूर्ण दिन कौन सा होता हैं?

पहला और 10 वां दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है।

ओणम कौन से महीने में मनाया जाता हैं?

ओणम श्रावण मास की शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता हैं।

ओणम क्यों मनाया जाता हैं?

राजा महाबली के सम्मान में और  हर साल अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है।

ओणम केरल का सबसे खुशी का त्यौहार हैं, और लोग इस त्यौहार का हर साल बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि यह त्योहार यहां रहने वाले लोगों के बीच बहुत सारी खुशियां और समृद्धि लाता हैं।

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